पाण्डुलिपियों का राष्ट्रीय डेटाबेस, कृति संपदा
राष्ट्रीय सर्वेक्षण एक व्यापक राज्यव्यापी कार्यक्रम है जिसका उद्देश्य देश में प्रत्येक पाण्डुलिपि का पता लगाना है। प्रत्येक जिले, नगर और गाँव की सभी नई एवं पुरानी संस्थाओं, पाण्डुलिपियों के निजी संकलनों को राष्ट्रीय सर्वेक्षण के कार्यक्षेत्र में लाया गया है।
- राष्ट्रीय सर्वेक्षण, पाण्डुलिपियों की एक राष्ट्रीय इलेक्ट्रोनिक सूची बनाने की ओर पहला कदम है।
- राष्ट्रीय सर्वेक्षण जमीनी स्तर पर प्रचालन करता है और इसलिए इसके अज्ञात संग्रहों तक पहुँचने की संभावना है और इसमें मिशन के प्रयासों में आम जनता को भी शामिल किया गया है।
- राष्ट्रीय पाण्डुलिपि सर्वेक्षण अधिक विस्तृत पोस्ट-सर्वेक्षण के लिए प्रारंभिक प्रयास है।
- राष्ट्रीय सर्वेक्षण का उद्देश्य प्रत्येक जिले, प्रत्येक राज्य और अंत में पूरे देश का एक पाण्डुलिपि मानचित्र तैयार करना है।
सर्वेक्षण में क्या होता है
- राष्ट्रीय सर्वेक्षण एक राज्य में 5 दिन की अवधि में किया जाता है।
- इससे पहले कई दिन तक प्रचार और जागरूकता अभियान चलाए जाते हैं।
- राज्य स्तर पर 1 राज्य समन्वयक सर्वेक्षण का प्रभारी होता है; प्रत्येक जिले में 2 जिला समन्वयक नियुक्त किए जाते हैं, जिनमें से एक प्रशासनिक कार्मिक, जैसे मुख्य शिक्षा अधिकारी, और एक भाषा अथवा पाण्डुलिपि विशेषज्ञ विद्वान को प्राथमिकता दी जाती है; शिक्षकों, शोधकर्ताओं और छात्रों में से 50 सर्वेक्षक पाण्डुलिपियों का पता लगाते हुए तथा उन्हें प्रश्नावली तथा मानुस डेटा स्वरूप में प्रलेखित करते हुए प्रत्येक जिले का मानचित्रण करते हैं।
- सर्वेक्षण के दौरान मिशन पाण्डुलिपि धारकों को भंडारण और आधारभूत संरक्षण के संबंध में सलाह भी डेटा है।
क्या आपके घर में पाण्डुलिपियाँ हैं? क्या आपको अन्य किसी घर, मंदिर, भंडार, मदरसा, संग्रहालय, पुस्तकालय में पाण्डुलिपियों के होने की जानकारी है? यदि हाँ तो कृपया हमसे संपर्क करें (प्रतिक्रिया)। मिशन का इरादा पाण्डुलिपियाँ ले जाने का नहीं है – वह केवल इनका प्रलेखन करना चाहता है। मिशन दान स्वीकार करेगा परंतु पाण्डुलिपियों को उनके धारकों से जबरन नहीं लेगा।
सर्वेक्षण अभी तक....
- मिशन ने 2004-05 में एक प्रायोगिक परियोजना के तौर पर 3 राज्यों – ओडिशा, बिहार और उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय सर्वेक्षण शुरू किया था। कुल 53 जिले शामिल किए गए थे – 30 ओडिशा में, 13 उत्तर प्रदेश में और 10 बिहार में। प्रायोगिक परियोजना में ही मिशन ने 6,50,000 पाण्डुलिपियों और लगभग 35,000 भंडार गृहों का पता लगाया।
- प्रायोगिक परियोजना के अनुभवों से उत्साहित हो कर वर्ष 2005-06 में सर्वेक्षण का अगला चरण दिल्ली, मणिपुर, कर्नाटक और असम में किया गया। दिल्ली में लगभग 85,000 पाण्डुलिपियाँ पाई गईं। मणिपुर में कई स्थानों तक पहुँच न होने के बावजूद सर्वेक्षण अत्यधिक सफल रहा और लगभग 10,000 पाण्डुलिपियों का पता लगाया गया। इसी प्रकार असम में लगभग 42,000 पाण्डुलिपियाँ खोजी गईं। कर्नाटक में लगभग 1,50,000 पाण्डुलिपियाँ पाई गईं। गुजरात में लालभाई दलपतभाई इंस्टीट्यूट ऑफ इंडोलोजी, अहमदाबाद के साथ समन्वय से सर्वेक्षण शुरू किया गया था।
- वर्ष 2006-07 में हिमाचल प्रदेश, हरियाणा और तमिलनाडु में राष्ट्रीय सर्वेक्षण किया गया। हिमाचल प्रदेश में पाण्डुलिपि सूचना केंद्र, हिमाचल कला, भाषा एवं संस्कृति अकादमी ने राज्य में समन्वयकारी निकाय के रूप में कार्य किया। राष्ट्रीय सर्वेक्षण पूरे राज्य में लगभग 20,000 पाण्डुलिपियों का पता लगाने में सफल रहा, जिनमें टाकरी जैसी स्थानीय लिपि सामने आई। सर्वेक्षण में पाण्डुलिपियों के प्रलेखन तथा संरक्षण को प्रोत्साहित करने के लिए जागरूकता अभियानों में विद्यालयी छात्रों ने भी भाग लिया। पाण्डुलिपि सूचना केंद्र, संस्कृत, पाली एवं प्राकृत विभाग, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय भी हरियाणा राज्य में सर्वेक्षण करने में सक्रिय था। सर्वेक्षण में लगभग 500 पाण्डुलिपियों का पता लगाने में सफलता मिली है। राजस्थान में सर्वेक्षण राजस्थान राज्य अभिलेखागार के समन्वय से शुरू किया गया था। कुल 33 जिलों में से 19 जिलों का सर्वेक्षण किया जा चुका है और 7,50,001 पाण्डुलिपियों की पहचान की गई है।
- वर्ष 2007-08 में मिशन ने छत्तीसगढ़ के सभी 18 जिलों में और अरुणाचल प्रदेश के सभी 16 जिलों में राष्ट्रीय पाण्डुलिपि सर्वेक्षण किया। छत्तीसगढ़ में सर्वेक्षण छत्तीसगढ़ के अभिलेखागार एवं संग्रहालय निदेशालयों के समन्वय से किया गया और अरुणाचल प्रदेश में सर्वेक्षण सांस्कृतिक कार्य विभाग, अनुसंधान निदेशालय (संस्कृति, इतिहास, पुरातत्व, संग्रहालय, अभिलेखागार एवं दर्शन), इटानगर के समन्वय से किया गया।
- वित्तीय वर्ष 2007-08 में मध्य प्रदेश राज्य में भोपाल स्थित अभिलेखागार और संग्रहालय निदेशालयों के समन्वय से सर्वेक्षण शुरू किया गया; गोवा में अभिलेखागार एवं पुरातत्व निदेशालय (गोवा सरकार), पणजी और जम्मू एवं कश्मीर राज्य में केंद्रीय बौद्ध अध्ययन संस्थान, लेह के समन्वय से सर्वेक्षण शुरू किया गया।
- अप्रैल, 2012 में मिशन ने उत्तराखंड के सभी 13 जिलों में उत्तरांचल संस्कृत अकादमी, हरिद्वार के समन्वय से सर्वेक्षण कार्य (जो वर्ष 2007 में शुरू किया गया था) पूरा कर लिया है और इसने सिक्किम और मिजोरम के सर्वेक्षण के लिए प्रक्रियान्वयन शुरू कर दिया है।