राष्ट्रीय पाण्डुलिपि मिशन अपने पहुँच कार्यक्रम के तहत राष्ट्रीय स्तर की संगोष्ठियाँ आयोजित करता है। इन संगोष्ठियों में प्रस्तुत किए जाने वाले पत्र संरक्षिका और समीक्षिका शीर्षक के अंतर्गत प्रकाशित किए जाते हैं।
प्रथम खंड को संरक्षिका: स्वदेशी पद्धतियाँ एवं पाण्डुलिपि संरक्षण कहा जाता है जिसे सितंबर, 2006 में प्रकाशित किया गया था। इसमें फरवरी, 2005 में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए), नई दिल्ली में आयोजित की गई संगोष्ठी ‘मौखिक परंपराएँ और पाण्डुलिपियों के परिरक्षण एवं संरक्षण की स्वदेशी पद्धतियाँ’ की कार्यवाही दी गई है। इस खंड में भूपेन गोस्वामी, चम्पा अलाहाकून, सी. महेश्वरन, जी.एन. डेवी, हीदर ब्राउन, इम्तियाज़ अहमद, जे.बी. शाह, एम. मोटेबेन्नूर, नवांग फुनस्टो, पी. पेरुमल, ऋतु जैन, श्रीनन्द एल. बापट, एस. सुब्रमण, सुभेन्दु मंडल, एस.के. दास, संजय कुमार मैती, उषा सुरेश, उत्पल दास, वी. जयराज और डब्ल्यू.एच. सिद्दीकी द्वारा प्रस्तुत किए गए कुल 21 पत्र शामिल हैं। इस खंड में दिए गए पत्रों में संरक्षण की स्वदेशी तकनीकों तथा पद्धतियों, इनके पाण्डुलिपियों के लिए अधिक लाभकारी होने के कारण इन्हें पुनरुज्जीवित करने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया गया है।