अंकीकरण
शाब्दिक विरासत के संरक्षण और प्रलेखन के रूप में पाण्डुलिपियों का अंकीकरण हालिया समय में एक महत्त्वपूर्ण विषय के रूप मे उभरा है। सूचना प्रौद्योगिकी के विकास के साथ साथ अंकीकरण से मूल पाठ के प्रलेखन और संरक्षण होने के साथ साथ विदूषकों और शोधार्थियों के लिए इसकी उपलब्धता भी सुलभ होती है। वर्ष 2004 में मिशन ने देश भर में उपलब्ध कई पाण्डुलिपियों का अंकीकरण करने के लक्ष्य से अंकीकरण की एक प्रायोगिक परियोजना शुरु की थी। वर्ष 2006 में यह प्रायोगिक परियोजना मिशन द्वारा निर्धारित अंकीकरण संबंधी मानकों और दिशानिर्देशों सहित पूरी कर ली गई थी। देश के अति महत्त्वपूर्ण पाण्डुलिपि संग्रहों में कुछ को ध्यान में रखते हुए नई परियोजनाएं शुरु की गई थीं। अंकीकरण के दूसरे और तीसरे चरण का कार्य सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया था और अनुमानित कार्य का अधिकतर हिस्सा अंकीकरण के चौथे चरण में पूरा कर लिया गया है। नई अंकीकरण परियोजनाओं के साथ, मिशन, पाण्डुलिपियों के लिए एक अंकीय (डिजिटल) संसाधन तैयार करना चाहता है।