राष्ट्रीय पाण्डुलिपि मिशन ने कृतिबोध शीर्षक के साथ दुर्लभ और पूर्व में अप्रकाशित मूल पाठों के आलोचनात्मक संस्करणों का प्रकाशन करने की पहल की है।
कृतिबोध श्रृंखला का पहला प्रकाशन नारायण मिश्रा का वधुला गृहयागमवृत्तिरहस्यम था जिसका आलोचनात्मक संपादन ब्रज बिहारी चौबे द्वारा किया गया था। यह पाठ वधुलागृह्यसूत्रवृत्ति, जो कि स्वयं वधुलागृह्यसूत्र पर एक संक्षिप्त टीका है, पर एक काव्यात्मक टीका है। यह पाठ घरेलू संस्कारों तथा रिवाजों, विशेष रूप से गृहय तथा स्मार्तकर्म से संबंधित, पर सूचना के भंडार के लिए महत्त्वपूर्ण है। इसमें अन्य महत्त्वपूर्ण पाठों का संदर्भ भी है जैसे कथा-अरण्यक, वधुलागम और व्रत संग्रह जो अब तक अज्ञात रहे।