पोस्ट सर्वेक्षण देश के सांस्कृतिक मानचित्रण (इस मामले में, पाण्डुलिपियाँ) में एक बहुत बड़ा कार्य है।
सर्वेक्षण की समीक्षा के तहत सर्वेक्षण के दौरान खोजे गए सभी भंडार गृहों (रिपोजिटरी) में प्रत्येक पाण्डुलिपि का प्रलेखन करने के लिए प्रत्येक भंडार गृह का पुन: दौरा किया जाता है।
सर्वेक्षण की अवधि कम होने के कारण यह एक जिले में भंडार गृहों (रिपोजिटरी) की संख्या का संक्षिप्त विवरण उपलब्ध कराता है; पोस्ट सर्वेक्षण इसका विस्तृत विवरण प्रस्तुत करता है।
पोस्ट सर्वेक्षण कैसे किया जाता है?
- सर्वप्रथम मिशन द्वारा प्रत्येक जिले में भंडार गृहों की संख्या, प्रत्येक जिले में पाण्डुलिपियों की कुल संख्या और एक राज्य में जिलों की संख्या का निर्धारण करने के लिए सर्वेक्षण आंकड़ों का एक विश्लेषण किया जाता है।
- एक विशेष राज्य की विशिष्टताओं को ध्यान में रखते हुए उस राज्य की कार्य योजना तथा आवश्यकताओं का निर्धारण किया जाता है।
संसाधनों को प्रति जिला दस्तावेजों की संख्या, समय अवधि, जिले में इस संबंध में भागीदार केन्द्रों की आवश्यकता अथवा कमी के संदर्भ में स्पष्ट रूप से परिभाषित किया जाता है।
- उसके बाद राज्य स्तर पर भागीदार संस्थानों का चयन किया जाता है; सामान्यत: ये ऐसे भंडार गृह होते हैं जहाँ विद्वानों अथवा संग्रहालयों तथा पुस्तकालयों का एक बड़ा नेटवर्क होता है।
उदाहरण के लिए कर्नाटक में पोस्ट सर्वेक्षण का समन्वय ओरिएंटल रिसर्च इंस्टीट्यूट, मैसूर द्वारा किया जा रहा है जो कि एक पाण्डुलिपि सूचना केंद्र भी है।
- राज्य समन्वयक प्रलेखकों के चयन और प्रशिक्षण में सहायता करता है।
यह अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है कि प्रलेखकों का चयन संस्कृत, भाषा विज्ञान, अरबी, फारसी, क्षेत्रीय भाषा जैसे संबंधित विषयों के शोधकर्ताओं तथा विद्वानों के एक पूल में से किया जाए ताकि वे पाण्डुलिपियों को पढ़ने में सक्षम हों और उनका उचित प्रलेखन कर सकें।
उन्हें मिशन द्वारा प्रलेखन कैसे करें, दौरों पर रहते हुए उन्हें किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है आदि के संबंध में प्रशिक्षण भी दिया जाता है।
- प्रलेखकों को उनकी पाण्डुलिपियों का प्रलेखन करने के लिए भंडार गृहों के पतों की सूची (सर्वेक्षण के दौरान एकत्रित की गई सूचना के आधार पर) उपलब्ध कराई जाती है।
वे ऐसे भंडार गृहों पर भी ध्यान देते हैं जो रिकॉर्ड करने से छूट गए हों।
- उसके बाद डेटाशीटों की जांच की जाती है और इन्हें मानुस ग्रंथावली में प्रविष्ट किया जाता है।
पोस्ट सर्वेक्षण अब तक...
- ओडिशा, बिहार (10 जिले), तमिलनाडु, मणिपुर और कर्नाटक में पोस्ट सर्वेक्षण पूरा किया जा चुका है।
- इन पाँच राज्यों के एक सौ आठ जिले पोस्ट सर्वेक्षण के कार्य से गुजर चुके हैं।
मिशन ने अब तक 367977 पाण्डुलिपियों की सूचना एकत्रित की है।
- मणिपुर में मिशन ने निदेशक, मणिपुर राज्य अभिलेखागार के राज्य समन्वयक के नेतृत्व में सर्वेक्षण और पोस्ट सर्वेक्षण दोनों सफलतापूर्वक पूरे कर लिए हैं।
लगभग 23000 पाण्डुलिपियों का प्रलेखन किया गया।
- ओडिशा में सभी जिलों में दो समन्वयकारी अभिकरणों के माध्यम से पोस्ट सर्वेक्षण का कार्य किया गया और अब तक मिशन को 199081 पाण्डुलिपियों के संबंध में सूचना प्राप्त हुई है।
- बिहार में पोस्ट सर्वेक्षण में 10 जिलों से 72581 पांडुलिपियाँ प्राप्त हुई हैं।
- तमिलनाडु में पोस्ट सर्वेक्षण के दौरान 74097 पाण्डुलिपियों की सूचना का प्रलेखन किया गया।
- कर्नाटक में 29 जिलों में पोस्ट सर्वेक्षण कार्य किया गया और मिशन ने लगभग एक लाख पाण्डुलिपियों की सूचना का प्रलेखन किया है।
- वर्तमान में 3 राज्यों – उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली में पोस्ट सर्वेक्षण का कार्य जारी है।
- उत्तर प्रदेश में पोस्ट सर्वेक्षण 13 जिलों में किया जा रहा है और अब तक लगभग 99556 पाण्डुलिपियों के संबंध में सूचना एकत्रित की गई हैं।
- हिमाचल प्रदेश राज्य में पोस्ट सर्वेक्षण की ज़िम्मेदारी हिमाचल कला, संस्कृति एवं भाषा अकादमी, शिमला ने ली है।
12 जिलों में पोस्ट सर्वेक्षण जारी है और मिशन को अब तक राज्य से 15000 पाण्डुलिपियों के संबंध में सूचना प्राप्त हुई है।
- दिल्ली में पोस्ट सर्वेक्षण के कार्य में लगभग 1500 डेटाशीट बनी हैं।
- अब मिशन आंध्र प्रदेश, त्रिपुरा और राजस्थान राज्य में पोस्ट सर्वेक्षण कार्यक्रम कार्यान्वित करने के लिए तैयार है।
सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार इन राज्यों में प्रलेखन के लिए लगभग नौ लाख पाण्डुलिपियों पर कार्य किया जाएगा।