डॉ. अनिर्बाण दाश, संस्कृत के एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में 2018 से शब्द विद्या संकाय, केन्द्रीय उच्च तिब्बती शिक्षा संस्थान में स्नातक और परास्नातक कक्षाओं में अध्यापन दायित्व का निर्वहन कर रहे हैं । दाश जी ने संस्कृत और प्राकृत भाषा विभाग, पुणे विश्वविद्यालय, महाराष्ट्र से पी-एच.डी. की उपाधि प्राप्त की हैं । भारतीय पाण्डुलिपि और प्राचीन अभिलेख के विशेषज्ञ के रूप में, उन्होंने भारत और विदेशों में 80 से अधिक विश्वविद्यालयों एवं संस्थानों में प्राचीन भारतीय लिपियों को पढ़ाया हैं । वे इंडोलॉजी सेक्शन, एशियाई अध्ययन विभाग, क्रॉस-सांस्कृतिक और क्षेत्रीय अध्ययन संस्थान, कोपेनहेगन विश्वविद्यालय (डेनमार्क); ओटानी विश्वविद्यालय (जापान) और हीडलबर्ग विश्वविद्यालय (जर्मनी) में अतिथि संकाय के दायित्व का निर्वहन कर रहे हैं ।
वर्तमान में, वे भारत में शोधकर्ताओं की एक टीम की देखरेख और प्रबंधन करते हैं जो मुक्तबोध इंडोलॉजिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (यू.एस.ए.) के लिए माइक्रोफिल्म्स और प्राचीन पांडुलिपियों की फोटोकॉपी से खोजने योग्य इलेक्ट्रॉनिक डेटाबेस बना रहे हैं । उन्होंने अपनी विशेषज्ञता के क्षेत्र में चार पुस्तकें और 30 से अधिक लेख लिखे हैं और वर्तमान में ‘एक बौद्ध संस्कृत मैनुअल’ शीर्षक पर ग्रन्थ- लेखन का कार्य प्रगति पर हैं । उनकी जिम्मेदारियों में समन्वयक, आई.क्यू.एसी. ,के.उ.ति.शि.सं., सारनाथ भी शामिल हैं ।